पंडित श्याम मनोहर शास्त्री जिनका आज विवाह संस्कार संपन्न हुआ
है इन्होंने अपने नाम को सार्थक बनाने का प्रयास किया पंडित जी को अपने नाम के आगे पंडित एवं शास्त्री का प्रयोग
किसी आभूषण से कम नहीं लगता था परंतु वह केवल दसवीं पास थे ये उप्माये केवल गांव वालों की उदारता का परिणाम थी। कुछ भी हो शास्त्री जी गांव के सम्मानित पुरुष
है भाषा और रीतियो के प्रकांड विद्वान है। जिनका उन्होंने समय-समय पर प्रदर्शन किया? शास्त्रों में वर्णित उदारता उनको छु भी ना गई थी फिर भी लोग उदार
दाता मानते थे कारण अज्ञात है पंडित जी आज मिलन बिंदु पर उपस्थित थे ।
क्या कहने पत्नी भी उनको उनके भाग्य व स्वभाव के अनुरुप मिली थी पत्नी ने उनसे रस्मो के अनुसार कुछ मांगा आप मुझसे वादा कीजिए कि आप
एक माह में अपने परिवार से अलग गृह निर्माण करेंगे प्रिय मैं तुम्हारे रूप में एक
क्या अनेक ग्रह निर्माण कर सकता हूं मैं वादा करता हूं कि परिवार से अलग हो जाएंगे
फिर क्या था दोनों ने ही जीवनरस सुधा का पान किया ।
शास्त्री जी के परिवार में दो बड़े भाई भाभी भतीजे और भतीजी थी शास्त्री
जी के परिवार में उनकी बुजुर्ग मां थी
जिन्हें वह निहायत गंदी वह खराब वस्तु
समझते हैं और उनसे बोलना नहीं चाहते थे उनका
नाम था दिव्यावती जोकि अत्यंत वृद्ध थी शास्त्री जी के पिता स्वर्गवासी थे अब मां बच
रही थी भाइयों में इतनी सामर्थ्य न थी मां को अपने हिस्से में रख सके एक छायादार
वृक्ष की छाया में उनको रख सके जो
उन्होंने इतिहास में रोपा था आज अपने लगाए
वृक्ष के फल खाने का समय आया तो वृक्ष ने साफ इंकार कर दिया । बेटा मैं
मैंने तुम तीनों को अपने पेट में एक नहीं बल्कि 9 महीने तक रखा खुद न खा
कर तुम लोगो को खिलाया और न जाने क्या ? क्या? कस्ट सहे परंतु आज तुम तीनों मुझे त्याग दोगे मा ने चौकते
हुए पूछा मां हम लोग तुम्हारा त्याग नहीं कर रहे हैं केवल तुम्हारे बंटवारे के लिए सोच रहे हैं किस
प्रकार तुम्हारा बंटवारा किया जाए मां यह सब सुनकर अवाक रह गई उसने कभी सपने में
भी नहीं सोचा था कि एक दिन उसका भी बंटवारा हो जाएगा शास्त्री जी ने अपनी
बुद्धिमता का प्रदर्शन करते हुए कहा कि भाइयों मां को 4 गुना 3 बराबर 12 का सूत्र
लगाकर हल कर दिया हम में से प्रत्येक भाई के साथ मां चार महीने
रहेंगी फिर दूसरे के पास ट्रांसफर कर
देंगे फैसला सर्वसम्मति से पारित हुआ लोकतंत्र का जमाना था विरोध बहुमत में ना हो
तो विरोध मम्य नहीं होता है| परिवार एक में था तो कुछ लोगों के
निकम्मेपन का बोझ भी पेट भरने के कार्य में सक्षम था परंतु
अलग होते ही तीनो भाई भूखे मरने लगे यद्यपि उनके पास खेती लायक जमीन की कमी न थी यह वही जमीन थी जिस पर पहले
अधिक अनाज दालें पैदा होती थी परंतु बंटवारे के बाद ऐसा लगता था जैसे सब कुछ
समाप्त हो गया कहा भी गए हैं जहां सुमति तहां संपति नाना जहां कुमति तहं बिपति
निधाना बंटवारे के बाद तीनों भाइयों के दिल भी बट गए कोई किसी को अपने खेतों में
से पानी नहीं निकालने देता था तथा जिससे प्रति की सिंचाई व्यवस्था में व्यवधान
उत्पन्न हुआ जो फसलों के लिए विनाशकारी था गरीबी में भुखमरी को निमंत्रण भेज दिया
भुखमरी ने लाचारी को लाचारी ने बीमारी को
बीमारी ने मृत्यु को जो मानव मात्र को ईश्वर का दिया हुआ
शस्त्र है हर बीमारी की रामबाण औषधि है
लाचार मानव का उपचार है खैर कुछ भी हो शास्त्री जी ने खूब उन्नति की धन
के मामले में नहीं भाई संतान की मामले में
उनके तीन पुत्र और चार पुत्रियां थी जिन संतानों की मृत्यु हो गई उनकी संख्या ज्ञात है
क्योंकि शास्त्री जी का मत था घर की बात घर में रहे तो ज्यादा अच्छा है जीवन
निर्वाह फिर से आगे बढ़ रहा था या यूं कहें कि जैसे मां गंगा के सदियों से अपने
मार्ग प्रभावित है उसी प्रकार शास्त्री जी का जीवन भी प्रभावित था शास्त्री के तीन
पुत्र में काम्य सौम्य व प्रभात हैं उन की पुत्रिया पुष्पा किरण सुधा व रश्मि है । शास्त्री
जी की पत्नी सुगंधा पुत्रों से प्रेम व पुत्रियों से नफरत करती थी और ऐसा करना
कानूनी रूप से उनके लिए सही था वह मानती है उनके अनुसार बेटी बीमारी थी बेटा सुख
समृद्धि की बखारी थी सुगंधा अपने पति व पुत्रों पर अत्यधिक प्रेम वर्षा करती थी। पुत्रियों पर सदा उनका शिव के तृतीय नेत्र का सा प्रकोप रहा धन्य है वह देश गांव प्रदेश जहां
इस प्रकार की भेद नीति प्रयोग में लाई
जाती है निसंदेह शास्त्री जी विद्वान थे क्योंकि उन्होंने अपनी धर्मपत्नी का साथ
दिया था गरीबी का प्रकोप था घर में भोजन की आवश्यकता थी परंतु तन ढकने के लिए
वस्त्र भी आवश्यक है दोनों में केवल एक ही आवश्यकता पूरी हो सकती थी ऐसा
सुगंधा शास्त्री का मत था । काम्य
विद्या अध्ययन सौम्य तकनीकी कार्य
में तथा प्रभात चोरी व बदतमीजी कला में पारंगत थे इसमें संदेह नही है अम्मा हम अभी
और पढ़ना चाहती हैं सामवेत स्व्र्र उभरा पढ़ लो या खा लो या पहन लो सुगंधा ने कहा भैया
तो पढ़ते हैं हम भी बढ़ेंगे लड़कियों ने कहा तुम लोग अपने पति के घर में पढ़ना
पढ़ाना शास्त्री जी का नपुंसकता उत्तर
निकला
क्योंकि शास्त्री जी के सामने कोई भी
अपनी जबान नहीं खोल सकता था लिहाजा एक सन्नाटा पूरे वातावरण में फैल गया शायद
बुत तो नहीं बोला करते हैं बोलने के लिए जीवंत लोग चाहिए जो लोग अन्याय के
खिलाफ सिर झुका दे इंसान की श्रेणी में नहीं आते संदेह की
कोई गुंजाइश नहीं है चारों पुत्रीयो कन्या
पाठशाला से निशुल्क शिक्षण प्राप्त किया
इसके उपरांत पुष्पा व किरण ना पढ़ सके उनकी शादी का प्रस्ताव पारित हो चुका था
निसंदेह यह प्रस्ताव किसी भी न्यायालय के आदेश से अधिक महत्वपूर्ण था ऐसा सुंगधा
का मत था।
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