श्री बी एन वर्मा काशीपुर गांव के माने जाने किंतु अनपढ़ मिस्त्री थे जी हां गांव की भाषा में मकान बनाने वाले को मिस्त्री ही कहा जाता है लिहाजा अब मिस्त्री थे तो घर तो अच्छा बनाएंगे ही घर उनका बहुत अच्छा बना है घर में सब कुछ खाने पीने का है किसी चीज कि कोई कमी नहीं थी किंन्तु घर मे आए दिन झगड़ा होता था इससे मोहल्ले वाले बहुत परेशान रहते थे गांव के सभी लोगों ने पंचायत बैठा कर उनके घर वालों को कई बार समझाया लेकिन वह लोग नहीं समझे कारण था घर में टीम 3 बहुएं थी 4 बेटियां थी भरा पूरा परिवार था पर खर्चा करना कोई नहीं जानता था बीएन वर्मा जी को शुगर हो गया था अब उनमें काम करने का दम ना रहा वृद्धावस्था हो गई फिर भी जैसे तैसे करके घर के काम करते थे अब मेहनत मजदूरी में उनका हाथ अटक गया था फिर भी बहू और लड़के उनको कुबेर समझने लगे थे पिताजी ने जीवन भर की कमाई रखी हुई है हमको कुछ नहीं दे रहे हैं यह समझ कर एक दूसरे से लड़ा करते थे जबकि वह अपने इलाज कराने में पत्नी के इलाज कराने में बच्चों को पढ़ाने उनका सहारा धन खर्च कर चुके थे और उनके शब्दों में कहें तो मौत का इंतजार कर रहे हैं मगर कमबख्त मौत भी नहीं आ रही बहुत परेशान हो उनके मोहल्ले में हर साल बारिश होती थी बारिश में सावन सावन भी आता था और हर साल उनके मोहल्ले में कोई ना कोई मर जाता था वह अक्सर कहा करते यह सावन किसी दिन हम को ले डूबेगा लेकिन उनकी पत्नी सुपारी काटते हुए बोलती थी तुमको नहीं मुझको ही ले डूबेगा रोज की हाय हाय से थक गए हैं तंग आ गए हैं बर्बाद हो गए हैं हर साल पिछले 5 सालों से जहरीला सावन में गांव का कोई न कोई मर ही जाता था मरने की वक्त सभी के लक्षण एक जैसे होते थे पूरा शरीर बिल्कुल काला हो जाता था ऐसा लगता था कि उनकी मौत विषपान से हुई है अथवा किसी जहरीले सांप ने काट लिया और जब लोगों को कुछ भी दिखाई नहीं पड़ता तो वह कहते इसकी मौत जहरीला सावन से ही हुई है बीएन की पत्नी बहुत ही सहृदय महिला थी ऐसा कुछ लोग मानते थे कारण अज्ञात है
ऐसे ही एक दिन फिर लड़ाई हुई है और उन्होंने पूरा दिन कोई भोजन नहीं किया इसके बाद रात में सोने गए ना खाना खाया ना ही कोई जीव जंतू उनके चारपाई के पास आया किंतु सुबह जब लोगों उनको मृत अवस्था में देखा तो तो उनका भी शरीर काला पड़ चुका था वैसे ही मौत हुई थी जैसी अन्य लोग सावन में लोग मरते थे लोगों ने मान लिया इनको भी जहरीला सावन निकल गया है कौन जाने परिवार से दुखी होकर जहर पीकर आत्महत्या की थी बेचारा सावन बिना फालतू में ही जहरीला हो गया था ।
इस बात को कहने वाला वहां कोई भी नहीं था सब लोग चुपचाप आंसू बहा रहे थे
लेकिन बीएन वर्मा जी चुपचाप बैठे सोच रहे थे
सावन जहरीला नहीं है लोग जहरीले हैं सावन तो बिना बात के ही बदनाम हो गया है।
बड़े ही दुखी ही हृदय से वह अपनी मृत पत्नी को
अपलक देखते रहे जब तक लोग उनकी अर्थी उठा कर नहीं ले गए…..
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