बुधवार, 13 मई 2020

काली टाई

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जब कुमकुम नाथ विश्वविद्यालय की शिक्षा प्राप्त करके परास्नातक घोषित कर  दिए गए तब जाकर उनको अपनी बढ़ती उम्र और घटती आमदनी का एहसास हुआ।  कुमकुम नाथ के  माता पिता ने  उनको किसी  उच्च पद पर प्रतिष्ठित करने के लिए उकसाया किंतु   बेचारे बिल्कुल फिसड्डी निकले समस्त  प्रयासों के परिणाम स्वरूप वे असफल घोषित कर दिए गए जब बाप के तानो एवं पड़ोसियों के अफसानो से  उनका दम घुटने लगा  तो वे  छोटी मोटी  5या  6 हजार की नौकरी के लिए भागे। वहां भी उनको असफलता ही हाथ लगी ।  ऐसी बिगड़ी स्थित में उनको एक मित्र के सहयोग से किसी दफ्तर में नौकरी मिल गई तब जाकर उन्होंने चैन की सांस ली। किंतु  कुमकुम नाथ वर्तमान के राजनेताओं के समान कर्मठ एवं जुझारू थे  सो उनकी आवश्यकताएं  6  हजार के वेतन की न्यू पर ना  टिक सकी।
 जब वे  अपने कार्यालय में कार्यरत  थे तब उनको एहसास हुआ  मानव व जानवर में क्या अंतर है ? कार्यालय मैं 8 घंटे के दौरान 10 मिनट का खाना खाने का समय मिलता था । जो किसी सेना के प्रशिक्षण की याद दिलाता था कुमकुम नाथ हिंदी साहित्य से परास्नातक किया था , सो  निराला जी की भिक्षुक पढ़े थे आज तक उन्हें ऐसा अपमान जनक शब्द कभी ग्रहण नहीं करने पर पड़े थे । किंतु समय की नजाकत देख उन्होंने इसे भी स्वीकार कर लिया।
हद तो तब हुई जब 1 महीने कि नौकरी के बाद दूसरे महीने की अंतिम तिथि पर यानी 2 महीने काम करने के बाद उनको वेतन दिया  गया  वह भी पहले महीने का ऐसी स्थिति कुमकुम नाथ कि जीवन में प्रथम बार आई थी सो वे  नवीन कार्य की खोज पर निकल पडे। इस पूरे कार्यक्रम में उनको अत्यधिक क्रोध आ गया और उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया|
और जिस प्रकार भारतीय मोक्ष की कल्पना करते हैं उसी प्रकार कुमकुम नाथ जी बेरोजगारी को प्राप्त हुए।
और ऐसी अवस्था में ही अपने मित्र से मिलने जा पहुंचे मित्र ने बड़े ही उदार भाव से समाचार पत्र के रोजगार वाले  अंश की कटिंग कुमकुम नाथ के हाथ में थमा कर बोले मित्र लो मनपसंद रोजगार छांट लो बिल्कुल फ्री मे!
कुमकुम  नाथ ने  बड़ी ही गंभीरता एवं सूझबूझ से उस पत्र का निरीक्षण किया तब जाकर उनको एक प्रबंधक पद की नौकरी प्राप्त हुई। उसमें यह लिखा था शुरुआत में ट्रेनिंग दी जाएगी ट्रेनिंग के 7से 8माह बाद 50000 मासिक वेतन दिया जाएगा इस विज्ञापन  ने कुमकुम नाथ जी को जलेबी खाने की भावना की प्रसन्नता से भर दिया था ।
सो उन्होंने  उस विज्ञापन निकालने वाले को मन ही मन आशीर्वाद दिया एवं उसको और उसकी आने वाली समस्त पीढ़ियों को सशरीर स्वर्ग जाने की मंगल कामना की ।
दूसरे दिन  कुमकुम नाथ हम अमुक स्थान पर पहुंच गए वहां की व्यवस्था देखकर दंग रह गए सोचने लगे  प्रबंधक की पोस्ट पर पहुंचने भर की देर है यह गद्देदार कुसी मेज और केविन  सब पर अपना अधिकार होगा उस पर 50000 मासिक की सोने पर सुहागा का काम करेगी इंटरव्यू पर  कुमकुम नाथ जी से उनके जीवन पर अनेक प्रश्न पूछे गए इंटरव्यू लेने वाले ने सारे उत्तरों को स्वीकार कर लिया लेकिन मैटर टाइ में फस गया लिहाजा कल उनको एक काली टाइ पहनकर आने के लिए कहा गया ।  कुमकुम नाचने मामला  सेट समझा।इधर कुमकुम  नाथ ने सोचा  जब इतनी बड़ी पोस्ट का जुगाड़ हो गया है तो ससुरी टाई का चीज है उसका भी हम जुगाड़ कर लेंगे सो इसी के चलते हैं वह अपने मित्र श्रीमान मुरारी के घर पहुंचे और उनके दफ्तर के कोट  से लिपटी हुई काली टाई छीन ली इस बार मित्र ने उनको रोका भाई अगर आप ही ले लोगे तो हम अपने के दफ्तर कैसे जाएंगे ?हमें वहां अंदर नहीं जाने दिया जाएगा ऐसा मत कीजिए। कुमकुम नाथ  ने रौब झाड़ते हुए का इस तरह की टाई की हम सेंचुरी लगा देंगे बस वक्त आने दो। इसके बाद वे जबरदस्ती ही अपने घर चले गये।
दूसरे दिन वे अपने नए दफ्तर पहुंचे जहां उनका पहले से दो बड़े बड़े काले अक्षरों से भरे हुए पेजो से हुआ जिसमें उनको अपने जीवन की सभी घटनाएं लिखनी थी और नौकरी ना छोड़ने की शपथ भी लिखनी थी ।इस कार्य को उन्होंने बड़ी ही कार्यकुशलता से अंजाम दिया । मानो अब प्रबंधक की कुर्सी ज्यादा दूर ना हो किंतु अगले पल ही उनको समूह चर्चा के परीक्षण के लिए तीन पूर्व खिलाड़ियों के साथ भेज दिया गया खिलाड़ी उनको बहुत दूर किसी लोकल बस में ले गए अब तो भाई हमारे प्रबंधक का अपमान हो गया धूल भरी सड़कों पर उनको उतार दिया गया हाथ में मोटी मोटी  किताबें थमा दी गई  एक किताब को जब ₹10000 में बेचने का आदेश दिया गया सुबह से शाम तक वे सड़क पर किताबें बेचते रहे इतनी महंगी किताब का उन्हें एक भी खरीदार ना मिला आए थे मैनेजर बाबू बनने और एक सड़क छाप विक्रेता बन गए चेहरा पूरा धूल मिट्टी से काला हो चुका था कपड़ों में भी धूल मिट्टी भर गई थी जो कि हमारे प्रबंधक का घोर अपमान था । कुमकुम  नाथ के  के गले में पड़ी हुई काली टाई ।  बेहद ही रोमांचक ढंग से हिल  डुल रही थी।
तभी उनके मन में विचार आया इसी काली टाई सब किया धरा है! उसीसे वे  अपना गला खोटना चाहते थे किंतु बेचारे मरने से बहुत डरते थे इसलिए ऐसा कर ना सके। अंत में हार कर अपने साथ आए हुए सभी  खिलाड़ियों के उन्होंने हाथ जोड़कर कहा साहब हम मैनेजर बनने आए थे दर दर दर पुस्तके दिखाकर लोगों को ठगने नहीं आए थे हम साहित्य के परास्नातक हैं हम ऐसा कार्य नहीं कर सकते हैं हमें माफ कीजिए इसके साथ ही उन्होंने दो कसमें खाई पहली टाई न  पहनने की दूसरी विज्ञापन ना पढ़ने की इसके बाद उन्होंने टाई निकाली और अपने जेब में डाल लिया  और पुन:  बेरोजगारी को प्राप्त हुए।


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